उठ वीर तुझे आसमाँ चढ़ना है,
लड़खड़ा मत अभी हर किला फतह करना है
इस माटी का कर्ज़ है तुझपर
अभी हर दुश्मन को छलनी करना है।
झुकना नहीं टूटना नहीं
हर किलकारी की आस है तू
मरना नहीं मिटना नहीं
हर ‘रावण’ का ‘राम’ है तू।
बढ़ वीर तुझे अपना वचन निभाना है
सबका हौसला बन अभी हर मुश्किल पाँव तले कुचलना है
माँ के दूध का एहसास है अगर
तुझे हर ‘कंस’ को चीर दिखाना है।
हारना नहीं पीछे हटना नहीं
हर पिता का भरोसा है तू
थकना नहीं गिरना नहीं
हर सिपाही का ‘मंगल’ है तू।
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